Thursday, March 12, 2009



पीला मकान

मुझे याद है बचपन में जब नानी के यहाँ हमारी बच्चा पार्टी मामाजी के आम के खेत जाया करती थी, उनकी एक बैलगाडी में बैठ क़र .. तो बड़ा मज़ा आया करता था..मामाजी सारे बच्चो को धूप से बचाने के लिए सफ़ेद कपडे के स्कार्फ बच्चो के सरो पर बाँध दिया करते थे..रूहफ्ज़ा की एक बोतल हम अपने पास रख लेते थे और रास्ते भर अन्ताक्षरी खेलते हुए खेत पहुंचते थे..वहा पहुँचते ही नज़ारा देखने लायक होता था..ढेर सारे आम के पेड़ ही पेड़..दोपहर की उजली धूप, और आम के रंग से ऐसा मालूम होता था की पूरे खेत पर किसीने पीला कलर ढोल दिया हो..ऐसे मैं जब हम किसी आम के पेड़ के नीचे जाकर अपना घर से पैक किया हुआ पाँच खनो वाला खाने का डब्बा खोलते थे तो टीफ़ीन में रखी सब्जी में भी आम की खुशबूं समां जाया करती थी..घर पर आने के बाद ऐसा लगता था मानों सारे बच्चो ने कोई आम की खुशबू का परफ्यूम अपने उपर लगा लिया हो॥


अब समय का चक्र घूमा है..नानी के यहाँ ज़्यादा आना-जाना नही हो पाता...ओंर वैसे भी आज आम के स्वाद में वो रस नही आता जितना नानी के गाँव में हुआ करता था..क्यूंकि उन फलो में नानी का प्यार, मामाजी की देख-रेख और मामी के हाथों की आत्मीयता हुआ करती थी..शायद इसीलिए इतने आम बच्चे आसानी से हजम भी कर लेते थे॥ :)..


बचपन की उसी याद को ताज़ा करने के लिए हमने इस बार अपने घर को पीला कलर दिया..जिससे देख एक बार तोह हमारे घर के पडोस में रहने वाले सिन्धी अंकल भो सोच में पड़ गए..की इस कलर की तारीफ़ की जाए या चुप-चाप हस के अंदर चला जाए..लोग घर का रंग देख अलग-अलग तरह की बातें करते है..लेकिन ये पीला मकान अब कभी भी नानी के उस दुलार की कमी महसूस नही होने देगा..हम सब को..:)

2 comments:

mphpt07 said...

It is desert glow,choice of Sneha .Initially I also thought that it was not good choice but then due to its unique colour,I was happy.

After all I also like untravelled path!

It's good change!And now after going thru your blog it has different look!

Sonia said...

bohot khoob likha hai...yaadein taza kar di! ab na vo ped rahe na vo bachpan. kash waqt ko ulta ghuma kar phir wahi laut sakte..

badnaam hi sahi apne ghar ke color ka naam to hai :p i personally like the base color. gradually we can add a few stripes here and there to make it look not-so monotonous..